फित्रा के अहकाम (नियम) – सदक़ा-ए-फ़ित्र
फित्रा इस्लाम में एक अहम सदक़ा (दान) है, जो रमज़ान (Ramzan) के महीने के ख़त्म होने पर ईद-उल-फ़ित्र (Eid-ul-Fitr) से पहले ग़रीबों और ज़रूरतमंदों को दिया जाता है। इसे सदक़ा-ए-फ़ित्र (Sadaqat-ul-Fitr) भी कहते हैं।
📌 फित्रा के ज़रूरी अहकाम (Rules of Fitrah)
- ✅ फर्ज़ होने का वक़्त: फित्रा रमज़ान के आख़िरी दिन के मग़रिब के बाद वाजिब हो जाता है। इसे ईद की नमाज़ से पहले अदा करना बेहतर है।
- ✅ कौन अदा करेगा? हर वह मुसलमान जो अपनी बुनियादी ज़रूरतों से ज़्यादा मालदार हो, उसके लिए फित्रा वाजिब है। घर का मुखिया अपने बच्चों और परिवार की तरफ़ से अदा करेगा।
- ✅ फित्रा की मिक़दार: कम से कम 2 किलो 40 ग्राम (2040 ग्राम) गेहूं या उसकी क़ीमत दी जाती है। जौ, खजूर, या किशमिश के हिसाब से क़ीमत अलग हो सकती है।
- ✅ फित्रा किसे दिया जाए? यह ज़कात लेने के हक़दार लोगों को दिया जाता है, जैसे कि ग़रीब, ज़रूरतमंद, करज़दार, मुसाफ़िर, और यतीम।
- ✅ फित्रा कब तक अदा करें? सबसे बेहतरीन वक़्त ईद की नमाज़ से पहले है, लेकिन अगर देर हो जाए तो जितनी जल्दी हो सके, इसे अदा कर देना चाहिए।
- ✅ फित्रा की नीयत: फित्रा देते वक़्त नीयत करना ज़रूरी है कि यह अल्लाह के हुक्म की तामील के लिए दिया जा रहा है।
- ✅ नए पैदा हुए बच्चे का फित्रा: अगर बच्चा ईद की सुबह से पहले, यानी रमज़ान के आख़िरी दिन मग़रिब (Maghrib - सूरज डूबने) से पहले पैदा हो जाता है, तो उसके लिए फित्रा देना वाजिब (Wajib - ज़रूरी) होगा।
लेकिन अगर बच्चा ईद की सुबह के बाद पैदा होता है, तो उसके लिए फित्रा लाज़िम (Lazim - अनिवार्य) नहीं होगा।
- ✅ मौत होने पर फित्रा: अगर कोई शख़्स रमज़ान के आखिरी दिन मग़रिब के बाद, यानी ईद की रात या उसके बाद इंतिक़ाल (Intiqal - निधन) कर जाए, तो उसके ऊपर फित्रा वाजिब होगा।
लेकिन अगर कोई रमज़ान के आख़िरी दिन मग़रिब से पहले इंतिक़ाल कर जाता है, तो उसके ऊपर फित्रा लाज़िम नहीं होगा।
📌 मुख़्तसर (Mukhtasar - संक्षेप) तौर पर
- अगर बच्चा ईद से पहले पैदा होता है, तो उसका फित्रा अदा (Ada - अदा करना) किया जाएगा।
- अगर कोई शख़्स ईद से पहले इंतिक़ाल कर जाता है, तो उसका फित्रा अदा नहीं किया जाएगा।
- अगर कोई शख़्स ईद की रात या उसके बाद इंतिक़ाल करता है, तो उसका फित्रा वाजिब रहेगा।
- फित्रा वाजिब होने का आधार रमज़ान के आखिरी दिन मग़रिब के बाद की जिंदगी है। जो भी उस वक़्त ज़िंदा (Zinda - जीवित) होगा, उसका फित्रा वाजिब होगा।
💖 फित्रा अदा करने के फ़ायदे
- ग़रीबों को भी ईद की ख़ुशियों में शामिल होने का मौक़ा मिलता है।
- यह रोज़े की छोटी-मोटी ग़लतियों और खामियों का कफ़्फ़ारा बनता है।
- भाईचारे और एकता को मज़बूत करता है।
🔹 सदक़ा-ए-फ़ित्र 🔹
फित्रा हर उस मुसलमान पर वाजिब है, जो अपनी ज़रूरत से ज़्यादा मालदार हो। इसे सही वक़्त पर और सही हक़दारों को देना बहुत ज़रूरी है, ताकि इसका हक़ीक़ी मक़सद पूरा हो सके।
💖 अल्लाह हमारे सदक़ात और इबादतों को क़बूल फरमाए, आमीन! 🤲