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"And among His signs is this, that He created for you mates from among yourselves, that you may dwell in tranquility with them, and He has put love and mercy between your hearts. Verily, in that are signs for those who reflect." (Surah Ar-Rum 30:21)                                                                    ...और उसकी निशानियों में से यह है कि उसने तुम्हारे लिए तुम्हारे ही बीच से जोड़े पैदा किये। ताकि तुम उनके साथ चैन से रहो, और उस ने तुम्हारे दिलों में मुहब्बत और रहम पैदा की है। यक़ीनन, इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ हैं जो गौर ओ फिक्र करते हैं।" (सूरह अर-रम 30:21)                                                                    “The Messenger of Allah said: ‘O young men, whoever among you can afford it, let him get married, for it is more effective in lowering the gaze and guarding chastity, and whoever cannot then he should fast, for it will be a restraint (wija’) for him.'” [Sunan an-Nasa’I, 3209]                                                                    अल्लाह के नबी ने कहा: 'नौजवानों, तुम में से जो भी इसे कर सकता है, उसे शादी करने दो,' क्योंकि यह नज़र नीची करने और पाकीज़गी की हिफाज़त करने में अधिक मुतासीर है, और जो कोई ऐसा न कर सके, उसे रोजा रखना चाहिए। क्योंकि यह उसके लिए सब्र होगा। '' [सुनान अन-नासाई, 3209]



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फित्रा के अहकाम (नियम) – सदक़ा-ए-फ़ित्र

फित्रा इस्लाम में एक अहम सदक़ा (दान) है, जो रमज़ान (Ramzan) के महीने के ख़त्म होने पर ईद-उल-फ़ित्र (Eid-ul-Fitr) से पहले ग़रीबों और ज़रूरतमंदों को दिया जाता है। इसे सदक़ा-ए-फ़ित्र (Sadaqat-ul-Fitr) भी कहते हैं।


📌 फित्रा के ज़रूरी अहकाम (Rules of Fitrah)


📌 मुख़्तसर (Mukhtasar - संक्षेप) तौर पर


💖 फित्रा अदा करने के फ़ायदे


🔹 सदक़ा-ए-फ़ित्र 🔹

फित्रा हर उस मुसलमान पर वाजिब है, जो अपनी ज़रूरत से ज़्यादा मालदार हो। इसे सही वक़्त पर और सही हक़दारों को देना बहुत ज़रूरी है, ताकि इसका हक़ीक़ी मक़सद पूरा हो सके।

💖 अल्लाह हमारे सदक़ात और इबादतों को क़बूल फरमाए, आमीन! 🤲